नए कदम
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एक हरे भरे पेड़ से टूटे सूखे पत्ते है हम।
इस आजाद देश के गुलाम बच्चे है हम॥
पैसे, शोहरत, ताकत, सत्ता, कुर्सी के भूखे हैं।
दिमाग से शातिर पर अक्ल से कच्चे है हम॥
खोखला किए जाते है देश की जड़ों को
देश के दुश्मन है फिर कैसे सच्चे है हम?
इस आजाद देश के गुलाम बच्चे है हम
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