नए कदम
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आज निकला हूँ मैं होसला करके।
अपने अहम को खुद से जुदा करके॥
पास बैठूँगा जिनको दूर से देखता था मैं।
समझूँगा खुदो उनसे कम फासला करके॥
मेरी समझ मेरी बातें मेरी ज़ुबान चुप हैं।
गुफ्तगू अब होगी कुछ खामोशीयन करके॥
अपने जमीर से दूर होगया हूँ मैं।
बेहोश हूँ झूठी शोहरत का नशा करके॥
मुझेसे पूछो कितने खूबसूरत हो तुम।
मिला करो लोगों से पर्दा करके॥
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