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एक शाम आराम की

नए कदम
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एक शाम आराम की युही गुजर जाती है।

कुछ बंधी आशाएँ बिखेर देती है॥

कुछ नम आखें रुला देती है।

फिर एक पल में हसा देती है॥

 

जिंदगी कुछ अजब ही बहती है।

कभी वो सिमटी सिमटी रहती है॥

कभी चहकती है धड़कती है।

फिर एक क्षण में बदल जाती है॥

 

फिर रात आती है और सुबहा होती है।

सफलता की नयी शुरुआत होती है॥

नए लोग मिलते नयी मुलाक़ात होती है।

पुरानी यादें फिर भी साथ होती है॥

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