नए कदम
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जैसे गिरे हुआ पत्ते पेढ़ पर दोबारा लग गए है।
सोए हुए भारत वासी फिर से जग गए है॥
भरष्टाचार के खिलाफ उठा यह अभियान है।
हर वर्ग हर प्रांत का इसमें योगदान है॥
अब सरकटाने के लिए लाखों सज गए है।
वन्देमातरम के नारे फिजा में रच गए है॥
कोई एक व्यक्ति का यह संग्राम नहीं है।
और आवाज उठाना संविधान का अपमान नहीं है॥
तो मानो बात की घूस चोरो के दिन लद गए है।
जब गद्दारों से निजद पाने ले लिए दिल सध गए है॥
एक नए कानून से सब ठीक तो नहीं होगा।
पर मन कहता है की कुछ ठीक जरूर होगा॥
मैं मानु मन की कि जैसे कई मन मान गए है।
सोए हुए भारत वासी फिर से जग गए है॥
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