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सपनों के नगर में

नए कदम
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मेरा भी एक मकान है सपनों के नगर में॥

 

जहाँ झिलमिल करती रोशनी रहती है हर कण में।

खुशी की कमी नहीं जहाँ किसी घर में॥

वहाँ इंसान ही मिलता है इंसान को सफर में।

मेरा भी एक मकान है सपनों के नगर में॥

 

मैं थक जाता हूँ जीवन की रफ्तार से।

नुमाइए-ए-जमीर के फैले इस बाज़ार से॥

सब छोड़ तब चल देता हूँ खवाबों की डगर में।

मेरा भी एक मकान है सपनों के नगर में॥

 

सपनों की दुनिया का बात निराली है।

हर दिन होली है हर रात दिवाली है॥

गर तुम खो जाओ दुनिया के भावर में।

ढूंढ लेना मेरा मकान जो है सपनों के नगर में॥

 

 मेरा भी एक मकान है सपनों के नगर में॥

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