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ये शहर

नए कदम
नए कदम
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मेरे शहर में मेरे नाम से तुम न रहना।

बदनाम हो जाओगे तो फिर न कहना॥

 

मुझे पता है तुम्हारे कई मुरीद है।

वो भी नजर चुराए तो फिर न कहना॥

 

बहुत आसान है इसकी रंगत मे खोजना।

ये झिलमिल करती चकाचोंध मे बहजाना॥

 

कई शाम बीत जाती है इसको समझने मे।

गर खुद को भूल जाओ तो फिर न कहना॥

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